
उच्च रक्तचाप या हाई ब्लड प्रेशर आज की जीवनशैली का परिणाम है। इसे मैडिकल भाषा में हाइपरटेंशन भी कहते हैं। यहाँ हम उच्च रक्तचाप के होम्योपैथिक उपचार के बारे में बात करेंगे। यहाँ यह बताना आवश्यक है की होम्योपैथिक दवाएं एलोपैथिक दवाएं की तुलना में भिन्न प्रकार से काम करती हैं। एलोपैथिक दवाओं का असर कुछ घंटों तक रहता है। जितने समय तक यह असर रहता है तब तक रक्तचाप या ब्लड प्रेशर ठीक रहता है। उस के पश्चात रक्तचाप या ब्लड प्रेशर फिर से बढ़ जाता है। यह चक्र उम्र भर चलता रहता है। आप इन दवाओं पर ही निर्भर हो कर रह जाते हैं।
इस के विपरीत जब आप दवाएं लेते हैं आप को तुरंत असर नहीं दिखता है। इस का अर्थ यह है कि आप का रक्तचाप होम्योपैथिक दवा लेते ही एकदम से नीचे नहीं गिरेगा। रक्तचाप को नीचे आने मैं कुछ समय या सप्ताह लग सकते हैं। धीरे धीरे आप का रक्तचाप नीचे आने लगता है और सामान्य हो जाता है और सामान्य ही रहता है। कुछ समय के बाद यदि आप दवा बंद भी कर देंगे तो यह रक्तचाप बढ़ेगा नहीं और सामान्य ही रहेगा। आप को कौन सी दवा लेनी चाहिए यह जानने से पहले हम रक्तचाप के बारे में और अच्छे से जान लें।
रक्तचाप या ब्लड प्रेशर क्या होता है ?
जब हमारा दिल धड़कता है तो वह रक्त या खून को ज़ोर से धमनियों में धकेलता है। रक्त को सारे शरीर में पहुँचाने के लिए रक्त में बहाव की आवश्यकता होती है। वह तभी हो पाएगा जब दिल रक्त को ज़ोर से धकेलेगा। यह ज़ोर धमनियों की दीवारों पर भी पड़ता है। जो दबाव धमनियों की दीवारों पर पड़ता है उसे रक्तचाप या ब्लड प्रेशर कहते हैं। यह दो प्रकार का होता है – सिस्टोलिक और डायस्टोलिक। जिस दबाव से रक्त दिल से बाहर आता है उसे सिस्टोलिक कहते हैं। जिस दबाव से रक्त सारे शरीर का दौरा करने के बाद दिल तक वापिस आता है, उसे डायास्टोलिक रक्तचाप कहते हैं। यदि रक्तचाप न हो तो हमारे शरीर में खून का दौरा ही न हो पाए और इस के बिना जीवन सम्भव ही नहीं है। हम यहां चिंतित हैं जब यह रक्तचाप आवश्यक से अधिक हो जाता है।
उच्च रक्तचाप
सामान्य रक्तचाप 120 ऍम ऍम सिस्टोलिक और 80 ऍम ऍम डायास्टोलिक होता है। ये औसत रक्तचाप है। प्रत्येक व्यक्ति का रक्तचाप यही हो, ऐसा आवश्यक नहीं है। यदि हम 100 लोगों का रक्तचाप लें, तो उन की औसत यह होगी। 110 से 140 के बीच में कुछ भी सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर को सामान्य ही समझा जाना चाहिए। इसी प्रकार 70 से 90 के बीच में डायास्टोलिक ब्लड प्रेशर को भी सामान्य ही समझना चाहिए। जब यह रक्तचाप 140 सिस्टोलिक और 90 डायास्टोलिक से बढ़ जाए, तो इसे उच्च रक्तचाप कहा जाता है। यहां यह भी ध्यान रखना चाहिए कि केवल एक बार देखने भर से किसी को उच्च रक्तचाप का शिकार घोषित नहीं कर देना चाहिए। कम से कम 3 बार ब्लड प्रेशर देखना चाहिए। यदि हर बार ब्लड प्रेशर अधिक आता है, तभी इसे उच्च रक्तचाप माना जाना चाहिए।
उच्च रक्तचाप या हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण
उच्च रक्तचाप के लक्षणों के बारे में बहुत से भ्रम हैं। यह आवश्यक है कि हम इन भ्रमों से बचें। अधिकतर लोग सोचते हैं की जब ब्लड प्रेशर बढ़ता है तो सर दर्द होता हैया गुस्सा आना शुरू हो जाएगा। इस लिए उन्हें ज्ञात हो जाएगा जब उनका रक्तचाप अधिक होगा। यह सत्य नहीं है। सत्य यह है की सामान्य तौर पर उच्च रक्तचाप के कोई भी लक्षण नहीं होते। इसी लिए इसे साइलेंट किलर का नाम दिया गया है। अधिकतर लोगों को किसी और कारण से चेकउप करवाते पता चलता है कि उन्हें उच्च रक्तचाप है। इस कारण यह नहीं सोचना चाहिए कि अगर कोई लक्षण नहीं पता चल रहे हैं तो ब्लड प्रेशर ठीक ही होगा। केवल डॉक्टर से जांच करवाने से ही विश्वसनीय तौर पर आप को ज्ञात हो पाएगा कि आप का रक्तचाप सामान्य है या आप उच्च रक्तचाप के शिकार हैं।
उच्च रक्तचाप या ब्लड प्रेशर के कारण
जैसा कि मैं पहले भी बता चुका हूँ, आज की जीवन शैली उच्च रक्तचाप का सबसे बड़ा कारण है। आधुनिक जीवन शैली ऐसी है कि हम अधिकतम समय बैठे रहते हैं। शारीरिक कसरत हमारी दिनचर्या का हिस्सा नहीं है। चलना फिरना या साईकल चलाना तो जैसे भूल ही गए हैं। उसी समय हमारा खान पान बहुत बदल गया है। हमारे खाने में बसा की मात्रा बहुत बढ़ गई है। मिर्च मसाला आदि भी अधिक खा रहे हैं। शारीरिक सुस्ती और अधिक बसा वाले खाने से हम मोटापे के शिकार हो रहे हैं। इस मोटापे की वजह से हमारा रक्तचाप बढ़ रहा है। मानसिक तनाव भी एक महत्वपूर्ण कारण है जिससे हमारा रक्तचाप बढ़ता है। आज की दौड़ भरी ज़िंदगी में हम नवीनतम संसाधन पा रहे हैं लेकिन अपनी सेहत खो रहे हैं।
उच्च रक्तचाप से कैसे बचें
मेरा अनुभव है कि उच्च रक्तचाप से बहुत आसानी से निपटा जा सकता है। हम सब को मालूम है कि ब्लड प्रेशर का सबसे महत्वपूर्ण कारण आधुनिक जीवनशैली है। यदि हम अपने आप को प्रकृति से जोड़ें तो यह बहुत आसान है। गाड़ियों और मशीनों को छोड़ हाथ से काम करें, रोज़ 40 – 45 मिनट पैदल चलें, मानसिक तनाव को कम करें तो उच्च रक्तचाप बहुत आसानी से इसे ठीक कर सकते हैं। पानी अधिक मात्रा में पियें। नमक की मात्रा खाने में कम करें। तला हुआ खाना और पिज़ा बर्गर आदि जैसा जन्क फ़ूड कम करें। फल और कच्ची सब्ज़ियाँ अधिक मात्रा में लें। योग तथा प्राणायाम प्रतिदिन करें तो रक्तचाप बहुत आसानी से ठीक रखा जा सकता है।
उच्च रक्तचाप का होम्योपैथिक उपचार
होम्योपैथिक दवाएं ब्लड प्रेशर को एक दम से या तुरंत ही कम नहीं करती हैं। सभी शारीरिक प्रतिक्रियाओं को सामान्य होने में कुछ समय लगता है। यह इस वजह से होता है क्यूंकि होम्योपैथिक दवाएं मर्ज की जड़ तक जा कर उसे ठीक करने की कोशिश करती है। ये दवाएं ऊपरी सतह पर ही काम नहीं करती हैं। होम्योपैथिक दवाएं सिर्फ लक्षणों को कम करने की कोशिश नहीं करती हैं। इन का लक्ष्य बिमारी को सदा के लिए ठीक करना है। ऐसा होने के बाद आप उम्र भर बिना किसी दवा लिए रह सकते हैं।
उच्च रक्तचाप के लिए 5 सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवाएं
यहां मैं आप को 5 सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवाएं बताने जा रहा हूँ जो उच्च रक्तचाप में बहुत प्रभावी हैं। मैंने पाया है कि ये 5 दवाएं सब से अधिक सूचित होती हैं और ये बहुत प्रभावी भी हैं। ये दवाएं अनगिनत बार आज़माई जा चुकी हैं। इन दवाओं के अपने अलग अलग संकेत हैं और ये दवाएं तभी काम करती हैं जब उनके संकेत मरीज के संकेत से मिलते हैं। इस लिए एक अनुभवी डॉक्टर ही यह संकेतों का मिलान ठीक प्रकार से कर सकता है।
इस लिए स्वयं उपचार करने की चेष्टा ना करें।
उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए 5 सर्वोत्तम दवाएं नीचे दी गई हैं –
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बेलाडोना – सरदर्द के साथ होने वाले उच्च रक्तचाप के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
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नक्स वोमिका – आधुनिक जीवन शैली तथा खान पान से होने वाले रक्तचाप के लिए सर्वोत्तम दवा
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नैट्रम मयूर – अधिक मात्रा में नमक खाने की वजह से होने वाले उच्च रक्तचाप के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
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ग्लोनाइन – चेहरे पे लाली के साथ होने वाले उच्च रक्तचाप के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
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रवोल्फिआ – हाई ब्लड प्रेशर या उच्च रक्तचाप के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
यहां यह बताना अनिवार्य है कि कोई भी दवा देने से पहले और बहुत कुछ देखना पड़ता है। जहां यह हाई ब्लड प्रेशर बहुत पुराना है वहां इसे ठीक होने में समय लगता है। इसलिए दवा को लगातार लेते रहना पड़ता है। जो लोग बहुत समय से एलोपैथिक दवा ले रहे होते हैं, उन्हें पहले तो दोनों दवाएं साथ लेनी पड़ती हैं। धीरे धीरे एलोपैथिक दवाएं बंद कर दी जाती हैं। अब मैं आप को उपरोक्त 5 श्रेष्ठतम दवाओं के संकेत संक्षिप्त में दे रहा हूँ।
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बेलाडोना – सरदर्द के साथ होने वाले उच्च रक्तचाप के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
जिन लोगों को सरदर्द रहता है, उन के लिए बेलाडोना उच्च रक्तचाप या हाई ब्लड प्रेशर के लिए श्रेष्ठतम होम्योपैथिक दवा है। यह दर्द सर या माथे के दोनों ओर होता है और ऐसा प्रतीत होता है मानो कोई नस चल रही हो। चेहरे पे लाली और गर्मी महसूस होती है। इसे जलन भी कह सकते हैं। अचानक से होने वाले सरदर्द के लिए यह सर्वोत्तम दवा है। ऐसा लगता है कि मरीज़ एक क्षण बिलकुल ठीक था और अगले ही क्षण तीव्र सरदर्द, चेहरे पे लाली और जलन महसूस करने लगता है। अकसर चक्कर भी आते हैं।
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नक्स वोमिका – आधुनिक जीवन शैली तथा खान पान से होने वाले रक्तचाप के लिए सर्वोत्तम दवा
जहां उच्च रक्तचाप या हाई ब्लड प्रेशर का कारण पूर्ण रूप से आज की आधुनिक जीवन शैली ही हो, वहां नक्स वोमिका नामक होम्योपैथिक श्रेष्ठतम है। शराब पीना, मांस खाना, धूम्रपान करना, अधिक मात्रा में बाहर का या जंक फ़ूड खाना, जब ये मुख्य कारण हों तब यह दवा बहुत सराहनीय काम करती है। आम तौर पर ऐसे लोगों को गुस्सा बहुत आता है और ठंड भी अधिक लगती है। ऐसे लोग दुबले पतले होते हैं और चिड़चिड़े स्वभाव के रहते हैं। अकसर वे कब्ज के शिकार भी रहते हैं। सुबह के समय इन की सारी परेशानियाँ बढ़ जाती हैं।
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नैट्रम मयूर – अधिक मात्रा में नमक खाने की वजह से होने वाले उच्च रक्तचाप के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
जहां रक्तचाप का कारण अधिक मात्रा में नमक का सेवन होता है, वहां नैट्रम मयूर सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा है। ऐसे लोग नमकीन,अचार, खट्टी, मसालेदार और तली हुई चीज़ें खाने के शौक़ीन होते हैं। मुंह सूखता रहता है और प्यास अधिक लगती है। पैरों में अकसर सूजन रहती है। चेहरा और आँखें सूजी रहती हैं। जीभ या ज़ुबान पर सफेद रंग की परत रहती है जो की पूरी जीभ पर एक तरह की नहीं होती है। सरदर्द होता रहता है जिस में आँखों से देखने में भी दिक्क्त रहती है। खून की कमी होती है और दिल की धड़कन बहुत तेज़ रहती है।
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ग्लोनाइन – चेहरे पे लाली के साथ होने वाले उच्च रक्तचाप के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
चेहरा पर रक्त का जमाव होने से चेहरा लाल और गर्म हो जाए तो ग्लोनाइन नामक होम्योपैथिक दवा उच्च रक्तचाप के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। सुस्ती छाई रहती है और काम करने का मन नहीं करता है। बहुत तेज़ सरदर्द होता है और मानो सर में हथौड़े चल रहे हों, ऐसा महसूस होता है। सर बहुत भारी लगता है पर फिर भी लेटना मुश्किल होता है क्यूंकि उससे तकलीफ बढ़ती है। किसी भी प्रकार की गर्मी वह अपने पास सह नहीं पाता है। सर भारी और बड़ा सा महसूस होता है। धूप में जाने से सरदर्द भी बढ़ता है और बाकी समस्याएँ भी बढ़ जाती हैं। ऐसा सूर्योदय और सूर्यास्त से भी होता है।
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रवोल्फिआ – हाई ब्लड प्रेशर या उच्च रक्तचाप के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
रवोल्फिआ सर्पगंधा नामक पौधे से बनती है। जब किसी भी प्रकार के संकेत मरीज़ में न देखने को मिलें तो इसे अक्सर उपयोग में लाया जाता है। नसें कमज़ोर रहती हैं और कमज़ोरी महसूस होती है। यह दवा अकसर मदर टिंक्चर में ही उपयोग की जाती है। इस दवा के उपयोग में यह ध्यान रखना बहुत आवश्यक है कि ये दवा गर्भवती महिलाओं को नहीं देनी चाहिए।
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